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उलझ मत दिल बहारो में 2 (Ulajh Mat Dil Bharo Me -2)

उलझ मत दिल बहारो में 2  (Ulajh Mat Dil Bharo Me -2)

उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


तमनाये जो तेरी है फुहारे है वो सवान की,

फुहारे है सुक जाती है फुकारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


दिलासे यो यहाँ के सभी रंगिन नजारे है,

नजारे रूसे जाते है नजारों का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


इन्ही रंगीन गुबारों पर आरे दिल क्यों फ़िदा होता,

गुबारे फुट जाते है दुबारो का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या


तू हरी का नाम लेकर के किनारों से किनारा कर,

किनारे कूट जाते है किनारों का भरोसा क्या


उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,

सहारे छुट जाते है सहरो का बरोसा क्या

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त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।

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