शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है,
ओ भोले तेरे द्वारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है ॥
भगत के दिल को यूँ ना तोड़ देना
निराशा कर प्रभु ना छोड़ देना,
बहुत ही गम के मारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है ॥
हमें भी अपनी सेवा में लगा लो,
चरण का अपने सेवक तुम बना लो,
जगत से बेसहारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है ॥
फसी है नाव ‘शर्मा’ की निकालो,
सहारा देके ‘लक्खा’ को बचा लो,
लो झोली को पसारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है ॥
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है,
ओ भोले तेरे द्वारे आ पड़े है,
शरण में हम तुम्हारे आ पड़े हैं,
ओ बाबा तेरे द्वारे आ पड़े है ॥
शरद पूर्णिमा के समापन के बाद कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व प्राप्त है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।
सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता हैं 12 नवंबर को मनाई जाएगी।