सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
रूप चतुर्भुज लगे सलोना,
चार भुजा के नाथ जी,
नाथद्वारा में आप विराजे,
बन करके श्री नाथ जी,
दाड़ी में थारो हीरो चमके,
मुकुट विराजे माथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
पंढरपुर में हरी विठ्ठल,
रणछोड़ बस्या डाकोर जी,
बने गोवर्धन आप विराजे,
आकर के इंदौर जी,
द्वार तुम्हारे भक्त खड़े है,
जोड़ के दोनों हाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
वृन्दावन में कृष्ण मुरारी,
जयपुर में गोपाल जी,
दिक्क़ी में कल्याण धणी,
म्हारो साँवरियो नन्दलाल जी,
मोत्या वाला श्याम धणी अब,
सुनलिजो म्हारी बात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
रोम रोम में बसी है राधे,
आप बसे हो कण कण में,
माता यशोदा के राज दुलारे,
आन बसों मेरे मन में,
शनि मंडली श्याम तुम्हारी,
विनती करे दिन रात जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
सभी रूप में आप विराजे,
त्रिलोकी के नाथ जी,
सारी दुनिया तुमको पूजे,
राधा जी के साथ जी ॥
बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥
11 दिसंबर 2024 को मोक्षदा एकादशी के पावन अवसर पर शुक्र देव श्रवण नक्षत्र में गोचर करेंगे। शुक्र ग्रह को सुख, ऐश्वर्य, और भौतिक संपन्नता का कारक माना जाता है।
प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इसी प्रकार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि माना जाता है।
हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी को अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का विशेष संबंध सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है।