राधे ब्रज जन मन सुखकारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम
मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल,
गल वैजयंती माला,
चरणन नुपर रसाल,
राधे श्याम श्यामा श्याम ॥
सुन्दर वदन कमल-दल लोचन,
बांकी चितवन हारी,
मोहन वंशी विहारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम ॥
वृन्दावन में धेनु चरावे,
गोपीजन मन हारी,
श्री गोवेर्धन धारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम ॥
राधा कृष्ण मिली अब दोऊ,
गौर रूप अवतारी,
कीर्तन धर्म प्रचारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम ॥
तुम बिन मेरा और ना कोई,
नाम रूप अवतारी,
चरणन में बलिहारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम,
नारायण बलिहारी,
राधे श्याम श्यामा श्याम ॥
षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में पूरे साल में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से प्रत्येक को विशेष माना जाता है। उन्हीं में से एक षटतिला एकादशी है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी कहते हैं।
हिंदू धर्म में, यूं तो प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पर षटतिला एकादशी उन सब में भी विशेष मानी जाती है। 2025 में, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी को है। इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्त होती है।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की एकादशी तिथि को ही षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है।