नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
तेरा पुजारी मैया, तेरा पुजारी,
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
हाथों में लेकर गंगा जल गागर,
हाथों में लेकर गंगा जल गागर,
श्रद्धा से स्नान करा गया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
लाल लाल चोला किनारी गोटे वाला,
लाल लाल चोला किनारी गोटे वाला,
लाल लाल चुनरी ओड़ा गया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
चाँदी की कटोरी में केसर घोल के,
चाँदी की कटोरी में केसर घोल के,
माथे पे तिलक गया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
चंपा चमेली गुलाब जूही गेंदा,
चंपा चमेली गुलाब जूही गेंदा,
पुष्पों की माला पहना गया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
तेरा पुजारी मैया तेरा पुजारी,
नंगे नंगे पाँव चल आ गया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥
सनातन धर्म में प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। अगर आपको बजरंगबली की कृपा प्राप्त करनी हैं तो आप मंगलवार को उनकी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। जैसा कि आपको बता दें कि सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
सनातन धर्म में गुरुवार दिन का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन व्रत करने का भी एक अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।