नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया,
नाथद्वारा सन्मुख होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
जनम जनम की प्यासी अँखियाँ,
दर्शन से सुख पाऊं मैं,
तेरे चरण में मेरा ठिकाना,
और कही क्यों जाऊं मैं,
श्रीनाथ जी के शुभ नैनन में,
श्रीनाथ जी के शुभ नैनन में,
करुणा का सागर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
मन-मोहिनी मूरत तेरी,
घट घट बसिया श्याम तू ही,
मन मंदिर में मोहन तू ही,
रोम रोम में श्याम तू ही,
साँसों में मेरी बंसी बजाये,
साँसों में मेरी बंसी बजाये,
वो नटवर नागर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
यमुना तट पर बंशीवट पर,
तेरा रंग निराला है,
राधा के संग रास रचैया,
मोहन मुरली वाला है,
महाप्रभु जी के चरणों में ही,
महाप्रभु जी के चरणों में ही,
हर वैष्णव का घर होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
नाम है तेरा कृष्ण कन्हैया,
नाथद्वारा सन्मुख होगा,
तेरा दर्शन इतना सुन्दर,
तू कितना सुन्दर होगा,
तू कितना सुन्दर होगा ॥
छठ पूजा की शुरुआत होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं। ये वो समय होता है जब हम सूर्य देव की खास उपासना करते हैं। वैसे तो छठ पर्व खुशहाली और परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है।
दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर उनसे धन-वैभव और सुख-शांति की कामना की जाती है।
सनातन परंपरा में धन की देवी लक्ष्मीजी के आठ अवतार बताए गए हैं। जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता हैं। इनमें संतान लक्ष्मी भी माता के प्रमुख अवतारों में से हैं।
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन झिलमिलाते दीपों की ज्योति और हर्षोल्लास के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजन की जाती है।