जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
मेरे मन के अंध तमस में,
ज्योतिर्मय उतारो ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
मेरे मन के अंध तमस में,
ज्योतिर्मय उतारो ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।
कहाँ यहाँ देवों का नंदन,
मलयाचल का अभिनव चन्दन ।
मेरे उर के उजड़े वन में,
करुणामयी विचरो ॥
॥ मेरे मन के अंध तमस में...॥
नहीं कहीं कुछ मुझ में सुन्दर,
काजल सा काला यह अंतर ।
प्राणों के गहरे गह्वर में,
ममता मई विहरो ॥
॥ मेरे मन के अंध तमस में...॥
वर दे वर दे,
वींणा वादिनी वर दे ।
निर्मल मन कर दे,
प्रेम अतुल कर दे ।
सब की सद्गति हो,
ऐसा हम को वर दे ॥
॥ मेरे मन के अंध तमस में...॥
सत्यमयी तू है,
ज्ञानमयी तू है ।
प्रेममयी भी तू है,
हम बच्चो को वर दे ॥
सरस्वती भी तू है,
महालक्ष्मी तू है ।
महाकाली भी तू है,
हम भक्तो को वर दे ॥
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क्या मंगल अमंगलकारी है? मांगलिक हैं तो क्या करें? , kya mangal Amangalakaaree hai? maangalik hain to kya karen?
पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु यानी आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक शब्द है जो दो शब्द रुद्र और अक्ष से मिलकर बना है।