आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
आँगन बंगला भवन भयो पावन,
हरिजन बैठे हरिजस गावन,
आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
करूँ दंडवत चरण पखारूँ,
तन मन धन सब उन पर वारुं,
आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
कथा कहे अरु अर्थ विचारे,
आप तरे औरन को तारे,
आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
कहे रैदास मिले निज दासा,
जनम जनम के काटे पासा,
आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा,
मेरें घर आया राजा राम जी का प्यारा ॥
दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
सनातन धर्म में प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व है, जैसे एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, वैसे ही त्रयोदशी तिथि महादेव भगवान शिव की प्रिय तिथि मानी जाती है।
सामा-चकेवा मिथिलांचल में भाई-बहन के प्रेम और अपनत्व का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा तक नौ दिन चलता है।
एक समय की बात हे नैमिषारण्य तीर्थ में अनेकों ऋषियों ने सूत जी महाराज से पूछा, हे भगवन! हमें प्रदोष व्रतों में उत्तम बुध प्रदोष के विषय में बताइये। तब सूत जी महाराज ने कहा।