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मैया री एक भाई दे दे (Maiya Ri Ek Bhai Dede)

मैया री एक भाई दे दे (Maiya Ri Ek Bhai Dede)

मैया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मेरे दर्द की दवाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥

मेरी क्या है खता,


नहीं मुझको पता,

भाई क्यों नहीं मेरे,

मैया ये तो बता,

बस मुझको ये सफाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


मेरे होता जो वीर,

ना बरसता ये नीर,

ऐसी खोटी लिखी है,

क्यों मेरी तकदीर,

राखी को एक कलाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


भाई बिन कैसा प्यार,

कैसा राखी का त्यौहार,

कहे ‘सिंहपुरिया’ मेरी भी,

सुन लो पुकार,

बहना को एक सहाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


मैया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मेरे दर्द की दवाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥

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देव उठनी एकादशी पर निषेध काम

शास्त्रों के अनुसार देव उठनी एकादशी भगवान् श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ट दिन है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है।

एकादशी में देवों को जगाने के मंत्र

पौराणिक मान्यता है कि देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग कर एक बार पुनः संसार के संचालन की कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।

देवउठनी एकादशी पर जरूर करें ये उपाय

सनातन धर्म में सभी तिथि किसी ना किसी देवी-देवता को ही समर्पित है। इसी प्रकार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है।

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय

“बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला।” ये कहावत तो हर किसी ने अपने घर में सुनी होगी। दरअसल, ये वही कहावत है जिसके द्वारा हर किसी के घर में देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान का आह्वान होता है।

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