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छोटी-छोटी कन्याएं(Maa Choti Choti Kanyaen)

छोटी-छोटी कन्याएं(Maa Choti Choti Kanyaen)

देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


हल वो सवाल करें,

सबको निहाल करें ।

बांटे रे सच्चा प्यार माँ,

छोटी छोटी कन्याएं ॥


देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


मुख मंडल का तेज न्यारा,

कहते हैं वो रूप तुम्हारा ।

प्यारी प्यारी भोली भाली,

बातें करती बहुत निराली ।

बड़ी दयावान है वो,

देती वरदान है वो ।

बेड़े लगाती पार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कंजकाऐं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कंजकाऐं ॥


जो जन उनका करें अनादर,

दुख से भटके वो तो दर दर ।

चरण छुएगें जो भी मन से,

सुखी रहेंगे सुख के धन से ।

मीठी मीठी बातों से,

प्यारी करामातों से ।

देती है कार्य संवार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


हस के वह थपकी जिसको देती,

सारे संकट हर वो लेती ।

तेरी तरह ही से महामाया,

कोई ना जाने उनकी माया ।

नाम के दीवानों के,

जोगी मस्तानो के ।

सपने करें साकार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥


देखी तेरे दरबार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ।

लीला करें अपार माँ,

छोटी-छोटी कन्याएं ॥

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छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

नरक चतुर्दशी पर ये ज्योतिष उपाय करें

छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।

छोटी दिवाली 2024 कब है

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हालांकि दिवाली की रोशनी से एक दिन पहले हमें अच्छाई और सच्चाई की ओर ले जाने वाला त्योहार आता है, जिसमें हम छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं।

छोटी दिवाली पर कितने दीये जलाने चाहिए

छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।

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