लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,
ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,
मैं तो हार गया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
आप कहो झट से ल्याऊँ,
चांदी के पाटो पर बैठो,
कंचन थाल मैं सजवाऊं,
मानो मानो जी भंगिया के रसिया,
मानो मानो जी भंगिया के रसिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
आप कहो तो भोले शंकर,
माँ गौरा को बुलवाऊं,
कार्तिक जी गणपति जी को मैं,
तुरंत संदेसा भिजवाऊं,
बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,
बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
चंद्र निराला मस्तक सोहे,
अंग विभूति रमी हुई,
नाग भयंकर गले में लिपटे,
गंग जटा से बहती हुई,
डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,
डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,
ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,
मैं तो हार गया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
नया व्यवसाय शुरू करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें कई चीजें शामिल होती हैं - रणनीति, कड़ी मेहनत, नवाचार और सबसे महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त। सही समय चुनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आपके व्यवसाय की रणनीति और योजना।
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
अप्रैल का महीना शुभता और समृद्धि का प्रतीक है, जब लोग अपने जीवन में नए लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनाते हैं। चाहे वह अपने करियर में नए अवसरों की तलाश हो, अपने सपनों का घर बनाना हो, या जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करना हो, सही समय का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है I