किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया दर्द अपनाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
कभी धनवान है कितना,
कभी इन्सान निर्धन है ।
कभी सुख है, कभी दुःख है,
इसी का नाम जीवन है ॥
जो मुश्किल में न घबराये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया दर्द अपनाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
यह दुनियाँ एक उलझन है,
कहीं धोखा कहीं ठोकर ।
कोई हँस-हँस के जीता है,
कोई जीता है रो-रोकर ॥
जो गिरकर फिर सँभल जाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया दर्द अपनाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
अगर गलती रुलाती है,
तो राहें भी दिखाती है ।
मनुज गलती का पुतला है,
यह अक्सर हो ही जाती है ॥
जो कर ले ठीक गलती को,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया दर्द अपनाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
यों भरने को तो दुनियाँ में,
पशु भी पेट भरते हैं ।
लिये इन्सान का दिल जो,
वो नर परमार्थ करते हैं ॥
पथिक जो बाँट कर खाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया दर्द अपनाये,
उसे इन्सान कहते हैं ॥
पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान एवं हवन इत्यादि सभी तरह की पूजा में आचमन आवश्यक है। आचमन का शाब्दिक अर्थ है ‘मंत्रोच्चारण के साथ जल को ग्रहण करते हुए शरीर, मन और हृदय को शुद्ध करना।’ शास्त्रों में आचमन की विभिन्न विधियों के बारे में बताया गया है। आचमन किए बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है।
प्रयागराज को भारत की धार्मिक राजधानी कहा जाता है। यह नगर सदियों से हिंदुओं की आस्था का केंद्र हुआ है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है।
हिंदू धर्म की धार्मिक परंपराओं में प्रयागराज का खास स्थान है। यहां का त्रिवेणी संगम बेहद पवित्र माना जाता है। इस जगह पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है।
महाकुंभ की शुरुआत में 15 दिन से कम का समय रह गया है। 13 जनवरी से इसकी शुरुआत होने जा रही है।इससे पहले अलग-अलग अखाड़े प्रयागराज में अपनी पेशवाई निकल रहे हैं और नगर प्रवेश कर रहे हैं।