जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,
हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।
काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥
ठाट सारे पड़े के पड़े रह गये,
सारे धनवा गढ़े के गढ़े रेह गये,
अन्त मे लखपति को ना ढेला मिला,
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥
बेबसो को सताने से क्या फायदा,
झूठ अपजस कमाने से क्या फायदा,
दिल किसी का दुखाने से क्या फायदा,
नीम के सथ जेसे करेला जुड़ा,
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥
राज राजे रहे, ना वो रानी रही,
ना बुढ़ापा रहा, ना जवानी रही,
ये तो कहने को केवल कहानी रही,
चार दिन का जगत मे झमेला रहा,
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥
जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,
हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।
काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥
गंगा नदी को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कहा जाता है। हिंदू धर्म में देवी के रूप में पूजित, गंगा का जल न केवल शुद्ध है बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सनातन धर्म में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसकी राशि में भगवान सूर्य शुभ होते हैं, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है।
पंचाग के अनुसार साल में 12 संक्रांतियां होती हैं। इन्हीं में से एक धनु संक्रांति है जो इस वर्ष 15 दिसंबर को पड़ रही है। धनु संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन से खरमास शुरू होता है।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। हिन्दू धर्म में यह एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा के लिए समर्पित है।