हार गया हूँ जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम,
लायक नहीं हूँ दर के तेरे,
लायक नहीं हूँ दर के तेरे,
लायक मुझको बना लो तुम,
हार गया हूं जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम ॥
पापी हूँ या कपटी हूँ मैं,
जैसा भी हूँ तेरा हूँ,
अपनों ने ठुकराया मुझको,
मैं बिलकुल अकेला हूँ,
सर पे रख दो हाथ मेरे अब,
अपनी शरण में बुला लो तुम,
हार गया हूं जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम ॥
दीनों के तुम दाता हो फिर,
क्यों झोली मेरी खाली है,
सब भक्तों की बिगड़ी बनाई,
अब बाबा मेरी बारी है,
लीले चढ़ के जल्दी आओ,
आकर लाज बचाओ तुम,
हार गया हूं जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम ॥
तेरे सिवा ना कोई मेरा,
किसको हाल सुनाऊँ मैं,
‘अर्चू’ पे क्या बीत रही है,
कैसे तुझसे छुपाऊं मैं,
बिच भंवर में अटकी नैया,
आकर पार लगा दो तुम,
हार गया हूं जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम ॥
हार गया हूँ जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम,
लायक नहीं हूँ दर के तेरे,
लायक नहीं हूँ दर के तेरे,
लायक मुझको बना लो तुम,
हार गया हूं जग से बाबा,
मुझको गले लगा लो तुम ॥
प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखते हैं।
शाबर मंत्र भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन मंत्रों की रचना ऋषि-मुनियों और सिद्ध महात्माओं ने साधारण भाषा में की थी, ताकि हर व्यक्ति इन्हें समझ सके और उपयोग कर सके।
प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।
'मंत्र' का अर्थ है मन को एकाग्र करने और अनावश्यक विचारों से मुक्त करने का एक सरल उपाय। आज की तेज़ भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक शांति प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है।