गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
कर नहीं है तो लाचार है,
है तो ताली बजा दीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु सेवा से ही ज्ञान का,
ज्योति दिल में जला लीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
शिष्य बनने से जो कुछ मिला,
दुसरो को बता दीजिए ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु शिव से न अच्छे कोई,
अगर हो तो बता दीजिए ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
कर नहीं है तो लाचार है,
है तो ताली बजा दीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष को एक ऐसा महत्वपूर्ण योग माना गया है, जो जातक के जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न करता है।
वास्तु शास्त्र प्रकृति और मानव जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला प्राचीन विज्ञान है। जब किसी भवन या स्थान में वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं होता, तो वहां नकारात्मक ऊर्जा या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सौंदर्य, प्रेम, कला, विलासिता और भौतिक सुख-सुविधाओं का प्रतीक माना गया है। अगर कुंडली में शुक्र कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को रिश्तों में तनाव, आर्थिक अस्थिरता और सौंदर्य से जुड़ी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।