गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
दोहा – सदा भवानी दाहिनी,
सन्मुख रहे गणेश,
पाँच देव रक्षा करें,
ब्रह्मा विष्णु महेश ॥
गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो,
घर में पधारो,
कीर्तन में पधारो,
काटो सकल कलेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजा धारी,
माथे सिंदूर सोहे मूस की सवारी,
हे सर्व सिद्धि सर्वेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता,
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता,
हे गणपति पुत्र उमेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
शंकर सुवन भवानी के नंदन,
चरण कमल पे शत शत वंदन,
मेरे हृदय करो प्रवेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
गौरी के पुत्र गणेंश जी,
मेरे घर में पधारो,
घर में पधारो,
कीर्तन में पधारो,
काटो सकल कलेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
अन्नकूट पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण और गिरिराज यानी गोवर्धन की पूजा के लिए मनाया जाता है। 5 दिवसीय दिवाली त्योहार का धार्मिक रूप से एक महत्वपूर्ण पहलू है।
दीपों के पर्व दीपावाली को हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को बड़े उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के लिए लोग पहले से ही अपने घरों की सजावट और साफ-सफाई शुरू कर देते हैं, ताकि माता लक्ष्मी के स्वागत में कोई कमी ना रहे।
छोटी दिवाली दीयों से घर-आंगन को रोशन करने का पर्व है। इसका संबंध हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि से भी है। इस दिन घी और तेल के दीपक जलाने, यमराज के लिए दीपदान करने और अभ्यंग स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
रोशनी और सजावट के पर्व दीपावली में धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा विधि-विधान से पूर्ण की जाती है।