गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,
पग धूल जो मिल जाए,
सच कहता हूँ गणपति,
तकदीर सम्भल जाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
सुनते है तेरी रेहमत,
दिन रात बरसती है,
इक बूँद जो मिल जाए,
मन की कली खिल जाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
ये मन बड़ा चंचल है,
कैसे तेरा भजन करूँ,
जितना इसे समझाऊं,
उतना ही मचल जाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
नजरो से गिराना ना,
चाहे जो भी सजा देना,
नजरो से जो गिर जाए,
मुश्किल ही संभल पाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
बप्पा इस जीवन की,
बस एक तम्मना है,
तुम सामने हो मेरे,
मेरा दम ही निकल जाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,
पग धूल जो मिल जाए,
सच कहता हूँ गणपति,
तकदीर सम्भल जाए,
गणपति तेरें चरणों की ॥
हिंदू धर्म के महान ऋषि और भगवान विष्णु के परम भक्त, नारद मुनि की जयंती को 'नारद जयंती' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन वैषाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पड़ता है, जो इस साल 13 मई को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन तेलुगु समाज में इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाने की परंपरा है।