एक तमन्ना माँ है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
मैया मैया मुख से उचारा करूँ ॥
रोज सवेरे उठ कर मैया,
तुझको शीश नवाउँ मैं,
प्रेम भाव से भांति भांति का,
नित श्रृंगार सजाउँ मैं,
हाथो से आरती उतारा करूँ,
मैया मैया मुख से उचारा करूँ ॥
इस तन से जो काम करूँ मैं,
सब कुछ तुझको अर्पित हो,
खाऊं जो प्रशाद हो तेरा,
पीऊं वो चरणामृत हो,
आँखों से दर्शन तुम्हारा करूँ,
मैया मैया मुख से उचारा करूँ ॥
‘बिन्नू’ की विनती माँ तुमसे,
इतनी किरपा कर देना,
चरणों की सेवा मिल जाए,
इससे बढ़कर क्या लेना,
असुवन से इनको पखारा करूँ,
मैया मैया मुख से उचारा करूँ ॥
एक तमन्ना माँ है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
हर पल उसी को निहारा करूँ,
मैया मैया मुख से उचारा करूँ ॥
शुरू हो रही है राम कहानी,
शुरू हो रही हैं राम कहानी,
श्याम चंदा है श्यामा चकोरी,
बड़ी सुंदर है दोनो की जोडी ॥
श्याम ऐसो जिया में,
समाए गयो री,
हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ख़ासकर, पौष मास की अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य, चंद्रदेव और श्रीहरि की विधिवत पूजा के साथ पिंडदान और तर्पण का विधान है।