हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण मे, हमें प्यार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको, अधिकार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हमारे, मिटा दे अंधेरे,
हमको उजालों का, संसार दे माँ ।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।
वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आता है और देव दिवाली से भी संबंधित है।
हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।
सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।