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ए पहुना एही मिथिले में रहुना (Ae Pahuna Mithile Me Rahuna)

ए पहुना एही मिथिले में रहुना (Ae Pahuna Mithile Me Rahuna)

ए पहुना एही मिथिले में रहु ना,

जउने सुख बा ससुरारी में,

तउने सुखवा कहूं ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥


रोज सवेरे उबटन मलके,

इत्तर से नहवाइब,

एक महीना के भीतर,

करिया से गोर बनाइब,

झूठ कहत ना बानी तनिको,

मौका एगो देहु ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥


नित नवीन मन भावन व्यंजन,

परसब कंचन थारी,

स्वाद भूख बढ़ि जाई,

सुनि सारी सरहज की गारी,

बार-बार हम करब चिरौरी,

औरी कुछ ही लेहू ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥


कमला विमला दूधमती में,

झिझरी खूब खेलाईब,

सावन में कजरी गा गा के,

झूला रोज झुलाईब,

पवन देव से करब निहोरा,

हउले- हउले बहु ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥


हमरे निहोरा रघुनंदन से,

माने या ना माने,

पर ससुरारी के नाते,

परताप को आपन जाने,

या मिथिले में रहि जाइयो या,

संग अपने रख लेहु ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥


ए पहुना एही मिथिले में रहु ना,

जो आनंद विदेह नगर में,

देह नगर में कहुं ना,

ऐ पहुना एही मिथिले में रहु ना ॥

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बुधवार पूजा विधि

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। जैसा कि आपको बता दें कि सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।

गुरुवार पूजा विधि

सनातन धर्म में गुरुवार दिन का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन व्रत करने का भी एक अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

शुक्रवार पूजा विधि

सनातन धर्म में किसी भी दिन उपवास या व्रत की परंपरा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

शनिवार पूजा विधि

सनातन धर्म में सप्ताह के हर एक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक शनिवार का दिन है, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।

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