Logo

बालाजी मंदिर, सिलीगुड़ी

बालाजी मंदिर, सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी का बालाजी हनुमान मंदिर, राम और सीता के साथ मासूम स्वरूप में विराजित हैं बालाजी


सिलीगुड़ी बालाजी मंदिर सिलीगुड़ी के खाल पारा इलाके में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और यही बात इसे खास बनाती है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भारत के विभिन्न स्थानों से भक्त भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए श्री बालाजी मंदिर में आते हैं। मुख्य गर्भगृह में हनुमान जी के साथ भगवान राम और देवी सीता की मूर्ति है। 


मंदिर का इतिहास और वास्तुकला


मंदिर का निर्माण 1990 के दशक में हुआ था, जब सिलीगुड़ी में एक छोटा सा हनुमान मंदिर था। समय के साथ-साथ मंदिर का विस्तार हुआ और एक बड़े और सुंदर मंदिर में परिवर्तित हो गया।  बालाजी मंदिर एक अद्वितीय वास्तुकला के साथ स्थापित है। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान हनुमान को समर्पित है। हनुमान जी बहुत पवित्रता और मासूमियत के लिए जाने जाते हैं। मुख्य गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्ति है, जो अपने हाथ में गदा लिए खड़ी मुद्रा में दिखा दे रहे हैं। मंदिर का शांत वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।


मंदिर के त्योहार


हनुमान जयंती, रामनवमी बालाजी मंदिर के प्रमुख त्योहार है। इन त्योहारों को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। राम नवमी और दिवाली जैसे अन्य त्योहार भी मनाए जाते हैं। हनुमान जी के सम्मान में मंदिर में प्रतिदिन अनुष्ठान और प्रार्थनाएं की जाती हैं। जिसमें हनुमान चालीसा का जाप और फूल और प्रसाद चढ़ाना शामिल हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा के लिए शुभ दिन माना जाता है।


बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है, जो लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है, यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग -  यहां का निकटतम रेलवे स्टेशव सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग - यहां पहुंचने के लिए विभिन्न बस स्टॉप से पहुंचा जा सकता है, जिसमें हिल कार्ट रोड और सिलीगुड़ी जंक्शन शामिल हैं।


मंदिर का समय - ये मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक खुलता है।

........................................................................................................
श्री नर्मदा चालीसा (Shri Narmada Chalisa)

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

मां अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna Chalisa)

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

मां पार्वती चालीसा (Maa Parvati Chalisa)

जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,
गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि ।

मां वैष्णो देवी चालीसा (Maa Vaishno Devi Chalisa)

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang