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चेन्नई का पहला इस्कॉन मंदिर

चेन्नई का पहला इस्कॉन मंदिर

चेन्नई का सर्व प्रथम इस्कॉन मंदिर, इसे श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है


इस्कॉन मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ऐसे तो देशभर में अनेक इस्कॉन मंदिर हैं, लेकिन क्या आपने चेन्नई के इस इस्कॉन मंदिर के बारे में सुना है? इस्कॉन मंदिर चेन्नई, यह चेन्नई का एक वैष्णव मंदिर है। यह मंदिर श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में पूजे जाने वाले देवताओं में राधा कृष्ण ललिता विशाखा, जगन्नाथ बलदेव सुभद्रा और श्री श्री निताई गौरांग शामिल हैं। मंदिर में सभी देवताओं को अत्यंत भव्य और खूबसूरती से सजाया गया है। बता दें कि मंदिर चेन्नई के लोगों से मिले दान के रुपयों से बनाया गया है। 45,000 वर्ग फुट भूमि पर बने इस मंदिर की लागत 10 करोड़ है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर संगमरमर के फर्श पर ब्रह्मांड का चित्रण किया गया है। 

इस्कॉन की स्थापना कैसे हुई? 


इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस को हरे कृष्ण मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता है। इस सोसाइटी की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने सन् 1966 में की थी। वह  भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे और हमेशा कृष्ण भक्ति में ही लीन रहते थे। स्वामी प्रभुपाद पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ा की उन्होंने हरे कृष्णा मूवमेंट शुरू करने का मन बना लिया। भक्ति का इतना बड़ा प्रभाव पड़ा की उन्होंने भगवान कृष्ण के संदेश को पूरे विश्व में पहुंचाने के लिए इस्कॉन मंदिर की स्थापना की। इस्कॉन का उद्देश्य है कि इसके जरिए देश-दुनिया के लोग ईश्वर से जुड़ सके और वो आध्यात्मिक समझ, एकता और शांति का लाभ प्राप्त कर सकें। इस्कॉन वेदों और वैदिक ग्रंथों की शिक्षाओं का पालन करता है। इसमें श्रीमद्भागवत गीता शामिल है जो श्री राधा कृष्ण के सर्वोच्च व्यक्तिगत पहलू में वैष्णववाद या भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति सिखाते हैं।

समय : सुबह 7:30 से दोपहर 1:00 बजे, शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक


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हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।

हरियाली तीज: शिव-पार्वती से सीखें रिश्ते सहेजना

शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।

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