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अष्टलक्ष्मी मंदिर, चेन्नई, तमिलनाडु (Ashtalakshmi Temple, Chennai, Tamil Nadu)

अष्टलक्ष्मी मंदिर, चेन्नई, तमिलनाडु (Ashtalakshmi Temple, Chennai, Tamil Nadu)

आठ लक्ष्मी की होती है पूजा, गर्भगृह को कहा जाता है ओंकारधाम, समुद्र मंथन से संबंध 


चेन्नई का अष्टलक्ष्मी मंदिर में देवी लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा की जाती है। शौर्य, शक्ति और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए लोग इस मंदिर में दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर बसंत नगर के समुद्र तट पर स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां दर्शन करने से श्रद्धालुओं को धन, विद्या, शौर्य और सुख की प्राप्ति होती है। अन्य दक्षिण मंदिरों की तरह यह मंदिर भी विशाल गुंबद वाला है।


मंदिर का निर्माण कांची मठ के श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामी की इच्छा पर किया गया था। मंदिर की नींव जनवरी 1974 में रखी गई थी। मंदिर का अभिषेक 5 अप्रैल, 1976 को अहोबिला मठ के 44 वें गुरु वेदांत देसिका यतींद्र महादेसिकन स्वामी की उपस्थिति में हुआ था। मंदिर बनने के बाद, मंदिर के अधिकारियों ने जीर्णोद्धार अष्ट बंधन महाकुंभ अभिषेकम किया। मंदिर में कुल 32 कलश स्थापित किए गए। इनमें गर्भगृह के शीर्ष पर 5.5 फीट ऊंचा सोने से मढ़ा हुआ कलश भी शामिल था। मंदिर परिसर में ही श्री गणेश, श्री हनुमान का अंजनेय रूप, चिकित्सा के देवता धन्वंतरि, महालक्ष्मी एवं महाविष्णु उपस्थित हैं, साथ ही साथ मंदिर के सामने पवित्र जल स्रोत के रुप में स्वयं विशाल महासागर विद्यमान है।


प्राचीन द्रविड़ शैली से बना हुआ है मंदिर 


मंदिर का निर्माण कांचीपुरम जिले के पंचायत शहर उथिरामेरुर में सुंदर राजा पेरुमल मंदिर की तर्ज पर किया गया है। यह मंदिर वास्तुकला की प्राचीन द्रविड़ और समकालीन शैली का मिश्रण है। मंदिर का डिजाइन और निर्माण ओम, प्रथम वैदिक मंत्र, प्रणव के आकार में किया गया है। अष्टलक्ष्मी मंदिर को ओंकारक्षेत्र कहा जाता है क्योंकि इसका आकार ओम जैसा है। 


मंदिर के गर्भगृह को बहु-स्तरीय परिसर में बनाया गया है ताकि भक्त बिना किसी गर्भगृह पर कदम रखे सभी मंदिरों के दर्शन कर सकें। मंदिर का निर्माण अष्टांग विमान के मॉडल पर आधारित है, जो निर्माण की एक बहुत ही प्राचीन शैली है। इस शैली की उत्पत्ति तिरुकोटियूर में हुई है जहां श्री राम रामानुज ने तिरुकोटियूर नंबी के चरणों में अष्टाक्षर मंत्र के अर्थ में महारत हासिल की थी। हर मंजिल पर विष्णु के तीन रुप, खड़े, बैठे और लेटे हुए दर्शाए गए हैं।


अष्टलक्ष्मी मंदिर का कथा


वेदों और पुराणों के अनुसार, देवी लक्ष्मी उस समय समुद्र से प्रकट हुई थी, जब देवता और असुर दूधिया सागर का मंथन कर रहे थे। महाविष्णु ने देवी लक्ष्मी से विवाह किया और उन्होंने भक्तों की इच्छाएं पूरी की। देवी अष्टलक्ष्मी वह लक्ष्मी है जो अष्टम सिद्धि और अष्ट ऐश्वर्य प्रदान करती है। चूंकि महाविष्णु मंदिर को अष्टलक्ष्मी मंदिर कहा जाता है।


मंदिर के त्यौहार


चेन्नई के अष्टलक्ष्मी मंदिर के त्यौहार बहुत जोश के साथ मनाए जाते हैं। नवरात्रि नौ रातों तक विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाई जाती है। दीपावली के दिन पूरा मंदिर रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। देवी लक्ष्मी को समर्पित वरलक्ष्मी व्रत पर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। पंगुनी उथिरम भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह का दिन है, जिसमें विशेष अभिषेक किया जाता है। इसे तमिलनाडु में रोशनी के त्यौहार के रुप में जाना जाता है, जब पूरा मंदिर कार्तिगई दीपक नामक तेल के दीयों से जगमगाता है। 


कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई एयरपोर्ट है। यहां से आप मंदिर जाने के लिए टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन ले सकते हैं।


रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्नई सेंट्रल और चेन्नई एग्मोर दो मुख्य रेलवे स्टेशन है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप स्थानीय बस ले सकते हैं या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।


सड़क मार्ग - चेन्नई से कई बसें चेंगलपट्टू जाती है। आप मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो-रिक्शा किराए पर ले सकते हैं या स्थानीय बस ले सकते हैं।


मंदिर का समय -  सुबह 6.30 बजे से रात 9 बजे तक।


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