मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
एक ईश्वर की खातिर,
लाखो मंदिर अच्छे-अच्छे,
कड़ी धुप में छाया खातिर,
बिलख रहे है बच्चे,
उसके अंदर बोल रहे प्रभु,
उसको तो पहचान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
पत्थर पे हो नाम हमारा,
करे दिखावा दान,
दरिद्र बन के जांच रहा है,
नारायण भगवान,
लेके कटोरा हाथ फैलाये,
उधर करो कुछ ध्यान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
फणी है ईश्वर,
अंदर आकर बैठा प्राण,
बाहर तू गंगाजल चढ़ावे,
अंदर मदिरा-पान,
रोज हो रहा तेरे हाथों,
ईश्वर का अपमान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।
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अप्रैल का महीना वसंत ऋतु की सुंदरता और त्योहारों की धूमधाम के साथ एक विशेष महत्व रखता है। यह माह प्रकृति के रंग-बिरंगे रूप को दर्शाता है। इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।
पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।