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देश के प्रसिद्ध 10 जगह की नवरात्रि

देश के प्रसिद्ध 10 जगह की नवरात्रि

देश के इन जगहों की नवरात्रि दुनियाभर में प्रसिद्ध, देखें क्या होता है खास


भारत के सबसे बड़े त्योहारों में नवरात्रि का स्थान बहुत अहम है। देवी पूजन और जागरण के नौ पवित्र दिनों में मैया के भक्त तन मन धन से माता की सेवा में लगे रहते हैं। समय के बदलाव के साथ मैया की आराधना के तरीके भी बदल गए हैं। कहने का तात्पर्य है कि पारंपरिक पूजन विधि के साथ आधुनिक चकाचौंध भी नवरात्रि में शामिल हो गई है। इसी बदलाव ने शायद नवरात्रि को विश्वभर में प्रसिद्ध कर दिया है। खासकर गरबा के संदर्भ में यह बात कही जा सकती है। 


गरबा नृत्य को यूनेस्को ने मान्यता दी है। यह बात अपने आप में गरबा की प्रसिद्धि का प्रमाण है। तो आइए जानते हैं भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक में देश के विभिन्न हिस्सों की प्रसिद्ध देवी पूजा और गरबा पंडालों के बारे में। गरबा की शुरुआत और पौराणिक कथा के बारे में जानने के लिए भी आप भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक की सहायता ले सकते हैं।


गुजरात का गरबा 


गुजरात को देवी पूजा और गरबा का उद्गम स्थल कहा जा सकता है। मैया के विशेष नृत्य गरबा के लिए गुजरात विश्व प्रसिद्ध है। यहां तक की हर साल नवरात्रि में विदेशी पर्यटक गुजरात के गरबा देखने विशेष तौर पर आते हैं। 

दुनिया के विभिन्न देशों में भी गरबा का प्रचलन गुजरात से ही शुरू हुआ। ऐसा कहना गलत नहीं होगा। अहमदाबाद, बडौदा गांधीनगर जैसे तमाम बड़े शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांव और कस्बों तक में गुजरात में गरबा की धूम होती है। यहीं से गरबा पूरी दुनिया तक पहुंचा है।

 

उदाहरण के तौर पर पंचमहल जिले में बना पावागढ़ महाकाली मंदिर शक्तिपीठ होने के साथ साथ अपने गरबा और नवरात्रि के लिए जाना जाता है। यहां दक्षिणमुखी काली मां की मूर्ति पावागढ़ की ऊंची पहाड़ियों के बीच लगभग 550 मीटर की ऊंचाई पर विराजमान है। नवरात्रि में मां की नगरी पावागढ़ में श्रद्धालु मां के दर्शन करने के साथ-साथ गरबा का आनंद लेने देश-विदेश से आते हैं।


यहां पवन यानी हवा हमेशा बहुत तेज गति से बहती है इसलिए इसका नाम पावागढ़ यानी पवन का गढ़ रखा गया है। यह एक शक्तिपीठ भी है। पौराणिक कथा के अनुसार पावागढ़ में देवी सती का वक्षस्थल गिरा था। यहां दक्षिण मुखी काली देवी की तांत्रिक पूजा का विधान है। इसी तरह गुजरात के बोकारो का डांडिया भी बहुत विख्यात है।


मप्र में उज्जैन कालिदास अकादमी का गरबा


विशाल प्रांगण, नवरंग डांडिया, सजे हुए युवक-युवती, मैया क्षिप्रा का किनारा और महाकाल राजा का सानिध्य। नवरात्रि में यह नजारा होता है मध्य प्रदेश में महाकाल नगरी उज्जैन का। जहां नवरात्रि में पंडाल में भारी भीड़ जुटती है। उज्जैन के गरबा महोत्सव में पारंपरिक, राजस्थानी, साउथ इंडियन, बंगाली, काठियावाड़ी आदि गरबा रास और लोकनृत्य की प्रस्तुतियों होती हैं। 


पश्चिम बंगाल का गरबा


पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा विश्व विख्यात है। साथ ही बंगाल की दुर्गा प्रतिमाओं की मांग देश के कोने-कोने में है। नवरात्रि के अंतिम 4 दिन पश्चिम बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन चार दिनों के दौरान बंगाली महिलाएं पारंपरिक साड़ी भी पहनती है। साथ ही ढाक की धुन पर एक प्रकार का नृत्य किया जाता है, जिसे धुनुची कहते हैं। भव्य पंडालों में देवी दुर्गा को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया जाता है और गरबा समेत कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


तमिलनाडु की नवरात्रि


तमिलनाडु में दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा अर्चना की प्रधानता है। हर देवी के लिए तीन दिन अलग-अलग निर्धारित है। यहां नौ दिनों तक लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं। इन उपहारों में चूड़ियां, बिंदी और सुहाग की चीजें शामिल हैं। यहां नवरात्रि में एक गुड़िया और उसके घर को सजाने का भी रिवाज है। 


महाराष्ट्र की नवरात्रि


महाराष्ट्र में नवरात्रि की धूम गुजरात से कम नहीं होती। नवरात्रि के दौरान यहां लोग एक नई शुरूआत करते हैं और घर के लिए कुछ नया खरीदने का रिवाज निभाते हैं। गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी गरबा और डांडिया काफी प्रसिद्ध है।


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छठ पूजा की सामग्री लिस्ट 2024

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।

खरना पूजा के नियम

लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है।

खरना का प्रसाद बनाने की विधि

छठ पूजा में खरना का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन के बाद से व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना जल के उपवास रखते हैं। खरना के दिन व्रती नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, दूध, और साठी के चावल से प्रसाद तैयार करते हैं।

एकांत कमरे में होता है खरना का व्रत

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।

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