एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे की शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। बच्चे के जीवन में और भी कई महत्वपूर्ण संस्कार और अनुष्ठान होते हैं लेकिन विद्यारंभ संस्कार का अपना अलग महत्व है।
विद्यारंभ संस्कार बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है जो उसके भविष्य को आकार देता है। विद्यारंभ समारोह में बच्चे को पढ़ाई की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन इससे पहले कि वह अपनी शिक्षा यात्रा शुरू करे, एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जाना बहुत जरूरी होता है। बच्चे की कुंडली के आधार पर गणना की जाती है। ऐसे में इस लेख में हम आपको मई 2025 में विद्यारंभ के मुहूर्त के बारे में बताएंगे।
पंचांग के अनुसार, विद्यारंभ के लिए 1,2,14,18,19 और 23 मई 2025 जैसी तारीखें चुन सकते हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
1. 1 मई 2025
- समय: दोपहर 02:20 बजे से 06:50 बजे तक
- नक्षत्र: मृगशिरा
2. 2 मई 2025
- समय: सुबह 05:58 बजे से 06:50 बजे तक
- नक्षत्र: आर्द्रा
3. 14 मई 2025
- समय: सुबह 06:35 बजे से 11:45 बजे तक
- नक्षत्र: अनुराधा
4. 18 मई 2025
- समय: शाम 06:58 बजे से 07:01 बजे तक
- नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा
5. 19 मई 2025
- समय: सुबह 05:48 बजे से 06:10 बजे तक
- नक्षत्र: श्रवण
6. 23 मई 2025
- समय: शाम 04:10 बजे से 07:00 बजे तक
- नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
विद्यारंभ के लिए कई नक्षत्र शुभ माने जाते हैं, जिनमें कुछ प्रमुख नक्षत्र रेवती, अश्विनी, पुनर्वसु और पुष्य हैं। इसके अतिरिक्त माघ शुक्ल पंचमी तिथि को भी बच्चों की शिक्षा आरंभ करने के लिए उत्तम माना गया है, क्योंकि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं।
विद्यारंभ संस्कार भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम होता है, जो उसके भविष्य को आकार देता है। इसके अलावा:
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। वहीं आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं आज चंद्रमा धनु राशि में मौजूद हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी। इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए देश भर से नागा साधु और संतों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे। इस दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाकर सभी ने पुण्य फल प्राप्त किए। अब जल्द ही महाकुंभ मेले का समापन होने वाला है और महाशिवरात्रि के दिन अंतिम महास्नान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी, मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान किया गया था।
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व भी है, जिससे आस्था का यह संगम और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रयागराज में महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा और इसी दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं।