महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी। इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए देश भर से नागा साधु और संतों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे। इस दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाकर सभी ने पुण्य फल प्राप्त किए। अब जल्द ही महाकुंभ मेले का समापन होने वाला है और महाशिवरात्रि के दिन अंतिम महास्नान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी, मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान किया गया था। इसके बाद दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या को और तीसरा अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन किया गया। तीसरे अमृत स्नान के बाद महाकुंभ मेले में आए सभी साधु-संतों ने अपने-अपने अखाड़ों की वापसी कर ली, परंतु महाकुंभ मेला अभी भी जारी है। इसका समापन महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर होगा और उसी दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
महाकुंभ का अगला स्नान महाशिवरात्रि के दिन होगा। महाशिवरात्रि की तिथि बुधवार, 26 फरवरी को प्रातः 11 बजकर 8 मिनट पर प्रारंभ होगी। तिथि का समापन 27 फरवरी को प्रातः 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि का व्रत भी 26 फरवरी को ही रखा जाएगा और इसी दिन महाकुंभ मेले का समापन भी होगा।
महाकुंभ में विभिन्न महत्वपूर्ण स्नान होते रहे हैं, जैसे मकर संक्रांति पर पहला अमृत स्नान, मौनी अमावस्या पर दूसरा अमृत स्नान और बसंत पंचमी पर तीसरा अमृत स्नान। माघ पूर्णिमा के बाद अब महाशिवरात्रि के दिन होने वाला स्नान विशेष महत्व रखता है। महाशिवरात्रि की तिथि 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे से प्रारंभ होगी और 27 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। स्नान के लिए अन्य मुहूर्त इस प्रकार हैं:
महाकुंभ प्रत्येक 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, और अगला महाकुंभ 2169 में त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में होगा। हालांकि, महाकुंभ के अतिरिक्त अर्धकुंभ और पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन भी चारों पवित्र स्थलों पर होता रहता है। प्रयागराज में 2025 में आयोजित महाकुंभ के बाद अगला कुंभ 2027 में महाराष्ट्र के नासिक में होगा। यह मेला त्र्यंबकेश्वर में आयोजित किया जाएगा, जो पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में हर एकादशी का व्रत अलग-अलग नाम और महत्व के साथ आता है, उनमें से एक अपरा एकादशी है।
अपरा एकादशी का व्रत जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु के समर्पण और कृपा प्राप्त करने के सर्वोत्तम दिन के रूप में जाना जाता है।
इस साल अपरा एकादशी 23 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस साल आने वाला ‘शनि प्रदोष व्रत’ शनिवार, 24 मई को मनाया जाएगा। यह विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह ‘शिव योग’ में पड़ रहा है।