नवरात्रि का विशेष पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के साथ मनाया जाता है। इसमें महाअष्टमी का दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। महाअष्टमी के दिन माता दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन का विशेष महत्व होता है। क्योंकि, इसे शक्ति की उपासना और साधना का प्रमुख दिन माना जाता है। तो आइए आपको बताते हैं नवरात्रि के आठवें दिवस के बारे में विस्तार से, जिसे अष्टमी अथवा महाअष्टमी के नाम से हम सभी जानते हैं, साथ ही जानेंगे अष्टमी के दिन माता की पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में भी……
इस वर्ष 2024 में महाअष्टमी का पर्व 10 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार अष्टमी 11 तारीख को रहेगी इसलिए पूजा सबसे शुभ मुहूर्त भी 11 अक्टूबर 2024 को ही रहेगा।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर 2024, दोपहर 12:31 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 11 अक्टूबर 2024, दोपहर 12:06 बजे
महाअष्टमी पूजा की तिथि: 11 अक्टूबर 2024
मां महागौरी दुर्गा मां का आठवां स्वरूप है। इनकी पूजा विशेष रूप से महाअष्टमी के दिन की जाती है। इनका स्वरूप गौरवर्ण है और यही कारण है कि उन्हें "श्वेतांबरा" के नाम से भी पुकारा जाता है। चार हाथों वाली महागौरी के दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है जबकि एक हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में डमरू है। मां महागौरी को सफेद वस्त्र, सफेद फूल, नारियल और सफेद मिठाइयों का भोग लगाया जाता है।
पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या इतनी कठिन थी कि कई वर्षों तक उन्होंने केवल फल और पत्तियों का सेवन किया था। इससे उनका शरीर काला
पड़ गया था। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। भगवान शिव जी ने मां को गंगाजल से स्नान कराया तब उनका रंग अत्यंत गौर हो गया। तभी से उनका यह स्वरूप "महागौरी" के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
कुंवारी कन्याओं के लिए महाअष्टमी का दिन विशेष होता है। ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने का वरदान देती हैं। इस दिन जो कन्याएं विधिपूर्वक मां महागौरी की पूजा करती हैं उन्हें शीघ्र मनचाहा वर प्राप्त होता है। साथ ही यह दिन शांति, सुख और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाअष्टमी के दिन माता को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित किए जाते हैं। मां को नारियल, बर्फी और अन्य सफेद मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही मां महागौरी के मंत्रों का जाप किया जाता है जिससे मां प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बना वेद का अधीकारी ।
दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है।
शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।