भगवान शिव के प्रिय मास की शुरुआत होते ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। बाबा के भक्त लंबी लंबी कतारों में लगकर भगवान शिव का अभिषेक और उनकी पूजा कर रहे हैं। भक्तों की आशा है कि शिव उनकी पूजा से प्रसन्न होंगे और उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे। शिव की पूजा के लिए भक्त सावन में कई नियम कायदे अपना कर रीति रिवाजों का पालन करते हैं। जहां एक तरफ सावन में भगवान शिव के मंदिर में साफ-सफाई और सजावट की जाती है वहीं कुछ ऐसे भी नियम होते हैं जिन्हें भक्तों को घर में ही पालन करने होते हैं। ऐसे में अगर आप उन नियमों का पालन नहीं करते तो आपको अपनी पूजा और नियमों का पूर्ण फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं क्या हैं वो काम जिनका श्रावण मास में पालन करने से भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं, साथ ही ये भी जानेंगे कि कौनसे काम काम करने से शिव क्रोधित हो सकते हैं।
श्रावण मास में नहीं करने चाहिए ये काम:
शिव के प्रिय मास श्रावण में तेल या मसालेदार भोजन से दूर रहना चाहिए, इस माह में लहसुन, प्याज, मछली, मांसाहार, मूली, बैंगन, गुड़, ज्यादा मीठी और खटाई वाली वस्तुएं, नमकीन पदार्थ, कच्चा दूध, कढ़ी, शहद और शकर का त्यान कर देना चाहिए, कहा जाता है कि इस माह में ये वस्तुएं ग्रहण करने से शरीर में रोग उत्पन्न हो सकते है।
इसके अलावा श्रावण में कांसे के बर्तन में भोजन करना, किसी प्रकार का नशा करना, पान, सुपारी, तंबाकू या शराब से भी दूर रहना चाहिए. इन सब के सेवन से मन में विकार उत्पन्न होते हैं जिससे हमारा मन भटकने लगता है और हम पूजा पर ध्यान कंद्रित नहीं कर पाते।
श्रावण मास में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में जो लोग ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते उन्हें गंभीर रूप से बीमारी होती है अथवा उन्होंने कोई गहरा शोक लगता है।
ऐसी मान्यता है कि इस माह में व्यक्ति को गद्देदार बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर शयन करना चाहिए। सुबह देर से उठना और रात देर तक जागते रहना भी नुकसानदायक माना गया है। इसके अलावा इस माह में दिन में शयन करने और शरीर पर तेल लगाने को भी गलत माना जाता है।
श्रावण में विष्णु भगवान शयन अवस्था में रहते हैं और भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है।
शिव पूजन के दौरान शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम, केतकी के फूल या तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए. साथ ही कुछ जगहों पर शिव पूजन में ताली और शंख बजाने की भी मनाही की गई है।
इसके अलावा घर के द्वार पर आए हुए मेहमान या फिर गाय, बैल, भिक्षु को भगाना नहीं चाहिए, उनका आदर करना चाहिए और उनकी जरूरत के अनुसार यथा उचित दान भी देना चाहिए।
जहां एक तरफ कुछ कार्य करने से शिव क्रोधित हो जाते हैं वहीं कुछ ऐसे भी कर्म माने गए हैं जिन्हें करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और इन्हें अपनाने वाले पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं।
अपने घर में रखी किसी भी भगवान की खंडित या टूटी-फूटी मूर्ति हटा दें। ऐसी मूर्तियां घर में रखना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी मूर्तियों से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अपनी रसोई से प्याज और लहसुन हटा दें। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, लहसुन और प्याज को तामसिक आहार माना गया है और सावन का महीना पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस माह में तामसिक चीजें नहीं खानी चाहिए।
श्रावण मास में घर में पूजा करने के दौरान भगवान शिव की आराधना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।
इस मास में दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना चाहिए। इससे आत्मिक सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सावन से पहले ही एक त्रिशूल ले आना चाहिए। इस त्रिशूल को घर के हॉल में रख सकते हैं. ऐसा करने से आपके घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
श्रावण मास में सत्संग और भजन-कीर्तन का आयोजन करना चाहिए। इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके अलावा असत्य, झूठे आरोप लगाने और हिंसा करने से बचना चाहिए। यह समय शांति, सच्चाई और प्रेम का पालन करने का है।
पूजा घर और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए, इससे घर की शुद्धि होती है और घर में पवित्रता और सकारात्मकता का माहौल बना रहता है।
सावन माह में भोलेनाथ की आराधना, ध्यान और मंत्रों का जाप करना सबसे मंगलकारी होता है, इसलिए आपको सावन के दौरान अपने घर में एक ऐसी जगह बनानी चाहिए जहां ज्यादा लोगों का आना-जाना न हो और जहां शांति ज्यादा हो।
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