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गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है महायोग, जानें कैसे करें पूजा, इन तीन राशियों के लिए इस दिन शुभ योग (Guru Poornima par ban raha hai Mahaayog, Jaanen kaise karen Pooja, in Teen Raashiyon ke lie is Din Shubh Yog

गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है महायोग, जानें कैसे करें पूजा, इन तीन राशियों के लिए इस दिन शुभ योग (Guru Poornima par ban raha hai Mahaayog, Jaanen kaise karen Pooja, in Teen Raashiyon ke lie is Din Shubh Yog

ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ साथ सभी देवों से भी ऊंचा स्थान है गुरु का। यह बात हमारे धर्मग्रंथों में लिखी है। गुरु की पूजा, आराधना ही हमें जीवन में सदमार्ग और उन्नति की ओर ले जाती है। गुरु ही अपने शिष्य को सही राह दिखाते हुए उसके जीवन से अज्ञानता को मिटाकर उसे ज्ञान की दिव्य ज्योति की ओर अग्रसर करतें हैं। ऐसे ही सदगुरु के प्रति आदर सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करने गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जा रही है।


महर्षि वेदव्यास की जयंती पर आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाने वाला यह दिन बड़ा ही पावन है लेकिन इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर बहुत ही दुर्लभ और महासंयोग बन रहें हैं, जो इस दिन को और भी अधिक विशेष बना रहे हैं। इस बार दशकों बाद गुरु पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।


क्या है सर्वार्थ सिद्धि योग?


सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी काम को शुरू करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है और इस दौरान किए गए कार्य का अतिविशिष्ट फल भी प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में कार्य आरंभ करने में मुहूर्त देखने की भी आवश्यकता नहीं होती। शुभ, लाभ, अमृत के चौघड़िए स्वत ही इसमें समाहित है। नया बिजनेस, नया घर, नई गाड़ी, विवाह जैसे किसी भी नए काम के लिए यह सर्वोत्तम योग है। 


21 जुलाई को यह योग सुबह 5 बजकर 57 मिनट से आरंभ होगा और 22 जुलाई को मध्य रात्रि 12 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा। साथ ही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र भोर से लेकर मध्य रात्रि 12.14 तक यह योग रहेगा। इसके साथ श्रवण नक्षत्र और प्रेम योग के नाम से विख्यात प्रीति योग भी इस बार गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है। प्रीति योग को शुभता और सकारात्मकता का योग भी कहा जाता है। जो 21 जुलाई को रात 09 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 22 जुलाई को शाम 5 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। गुरु पूर्णिमा के दिन महासंयोग के चलते विष्कुंभ योग का निर्माण भी हो रहा है। यह प्रात: 6:00 से रात्रि 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।


गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी 


गुरू पूर्णिमा के दिन कर्क राशि में सूर्य और शुक्र की उपस्थिति से शुक्रादित्य योग बन रहा है। वहीं मंगल और गुरु बृहस्पति वृषभ राशि में विराजमान होंगे। अन्य ग्रहों में राहु मीन में, केतु कन्या राशि में और शनि कुंभ में रहते हुए राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। बुध सिंह राशि में, चंद्रमा मकर में, सूर्य गुरु में और शनि इसी दिन षडाष्टक योग बना रहे हैं।


इन तीन राशियों के लिए है बहुत शुभ है इस बार गुरु पूर्णिमा 


सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ इस बार गुरु पूर्णिमा का दिन वैसे तो सभी के लिए शुभ है लेकिन फिर भी इस बार गुरु पूर्णिमा वृषभ राशि वालों के लिए बेहद खास है। मंगल और गुरु बृहस्पति के लग्न भाव में विराजमान होने से इस राशि के जातकों को आज़ हर क्षेत्र में लाभ होगा। पारिवारिक संबंधों, नौकरी धंधे, नई संपत्ति या वाहन खरीदने से लेकर धन धान्य और  दांपत्य जीवन तक के लिए यह योग वृषभ राशियों के लिए अति उत्तम है। 


इसी तरह सिंह राशि के जातकों के लिए भी इस बार गुरु पूर्णिमा का दिन बहुत अच्छा रहेगा। बुध के लग्न भाव में विराजमान होने से समाज में मान-सम्मान, कार्य क्षेत्र में सफलता, व्यापार व्यवसाय में विशेष लाभ और पारिवारिक जीवन में खुशहाली प्राप्त होगी। 


एक और राशि जिसके लिए यह गुरु पूर्णिमा विशेष है वह है कुंभ राशि। कुंभ राशि के जातकों को आज निवेश से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। साथ ही नई नौकरी, काम में तरक्की के योग हैं। मानसिक तनाव दूर होगा और स्वास्थ्य ठीक रहेगा।


गुरू पूर्णिमा का व्रत और उसकी पूजन विधि 


गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना सुख-समृद्धि को बढ़ाते है। साथ ही इस दिन पूर्णिमा के चंद्रमा को अर्घ्य देने पर भी विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस साल 21 जुलाई, 2024 के दिन गुरु पूर्णिमा व्रत रखे। प्रातः  स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर गुरु पूजन करें। जल, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई से विधिवत पूजा करे।


गुरु की चरण वंदना करें और आशीर्वाद लें। इस दिन अपने गुरु को भोजन कराने का भी विधान है। विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की भी पूजा करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का जलाभिषेक करें। घी का दीपक प्रज्वलित करें। सामर्थ्यवान है तो व्रत रखें और श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें। आरती करें और खीर का भोग लगाएं। शाम को चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें। भगवान का भजन या गुरु मंत्र का जाप करते हुए समय व्यतीत करें।

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