Logo

छठ पूजा में दंडवत प्रणाम

छठ पूजा में दंडवत प्रणाम

मन्नतों को पूरा करती है छठ पूजा में की जाने वाली दंड प्रणाम साधना, पहले मात्र 13 बार ही किया जाता था 


बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष तौर पर मनाया जाने वाला छठ पर्व कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत की पहली शर्त 36 घंटे लंबा निर्जला उपवास रखना होती है। इस दौरान खाना तो दूर कुछ खा भी नहीं सकते हैं। इसके अलावा एक और कठिन साधना नवरात्रि में होती है। इसमें शारीरिक श्रम का ज्यादा महत्व होता है। इसमें भक्त घर से नदी घाट तक जमीन पर लेटते हुए सूर्य भगवान को बार- बार प्रणाम करते हुए जाते हैं। इसे विशेष रूप से वे भक्त करते हैं जिनकी मन्नत पूरी होती है। आइए दंड प्रणाम की विधि और इसके धार्मिक महत्व को जानते हैं।  


छठ पर्व में ‘दंड प्रणाम’ दरअसल एक अत्यंत कठिन साधना का नाम है। इस साधना का सीधा संबंध मन्नत और भक्ति से होता है। जब भक्त की कोई मनोकामना पूरी हो जाती है। तब वह अपनी श्रद्धा और समर्पण दिखाने के लिए ये कठिन प्रक्रिया अपनाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘दंडी’ या ‘दंड प्रणाम’ कहा जाता है। इसमें आज भी कई स्थानों पर छठ व्रत के दौरान सुबह और शाम के अर्घ्य में ऐसा करते हुए व्रती दिखाई दे जाते हैं। 


दंड प्रणाम में आम की लकड़ी का महत्व 


छठ पर्व में दंड प्रणाम एक अत्यंत कठिन और अद्वितीय साधना है जिसे बहुत कम लोग करते हैं। इसे करने के लिए शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता होती है। जो भी भक्त इस कठिन साधना को अपनाते हैं उनके लिए यह आध्यात्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ाव का एक माध्यम बनता है। 


दंड प्रणाम की इस प्रक्रिया में भक्त एक आम की लकड़ी का टुकड़ा अपने हाथ में रखते हैं। जमीन पर लेटने के बाद वह लकड़ी से अपनी शरीर की लंबाई बराबर एक निशान लगाते हैं और उसी निशान पर खड़े होकर भगवान सूर्य को प्रणाम भी करते हैं। दंड प्रणाम करने की विधि बहुत ही साधारण होते हुए भी शारीरिक और मानसिक धैर्य की परीक्षा लेती है। 


दंड प्रणाम पूर्ण करने की विधि 


  • आम की लकड़ी का उपयोग: दंड प्रणाम के दौरान व्रती अपने हाथ में आम की लकड़ी का टुकड़ा लेकर चलते हैं।
  • लेटकर निशान बनाना: दंड प्रणाम के लिए व्रती जमीन पर पूरी तरह लेटते हैं और अपनी लंबाई के बराबर जमीन पर लकड़ी से निशान बनाते हैं।
  • प्रणाम करना: हर बार व्रती निशान पर खड़े होकर सूर्य भगवान को प्रणाम करते हैं।
  • सूर्य के 12 नामों का जाप: दंड प्रणाम के दौरान सूर्य भगवान के 12 नामों का जाप करते हुए यह प्रक्रिया घाट पर पहुंचने तक दोहराई जाती हैं।


मन्नतों की पूर्ति के लिए रखते है दंड प्रणाम 


छठ पर्व को मनोकामना पूर्ति पर्व भी कहा गया है। इस पर्व में भक्त अपनी मन्नतों की पूर्ति के लिए कठिन साधना करते हैं। संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति के लिए ही भक्त दंड प्रणाम जैसी कठिन साधना करते हैं। यह एक अद्वितीय साधना होती है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से भक्त के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से असीम शांति का अनुभव होता है।


पहले मात्र 13 बार किया जाता है दंड प्रणाम 


दंड प्रणाम समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। इस कठिन प्रक्रिया से भक्त अपने शरीर मन और आत्मा तीनों को भगवान भास्कर को समर्पित कर देते हैं। प्राचीन समय में इस तरह के प्रणाम की प्रक्रिया केवल 13 बार की जाती थी लेकिन अब भक्त घर से घाट तक इस कठिन साधना को पूरा करते हैं। यह प्रक्रिया भक्त की आस्था और श्रद्धा को दर्शाती है और छठ पर्व को महापर्व बनाती है। 


........................................................................................................
खुल गये सारे ताले वाह क्या बात हो गयी(Khul Gaye Saare Taale Wah Kya Baat Ho Gai)

खुल गये सारे ताले वाह क्या बात हो गयी,
जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गयी ॥

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि(Ki Ban Gaye Nandlal Lilihari)

कि बन गए नन्दलाल लिलिहारि,
री लीला गुदवाय लो प्यारी ।

कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी(Kirpa Ki Na Hoti Jo Addat Tumhari)

मैं रूप तेरे पर, आशिक हूँ,
यह दिल तो तेरा, हुआ दीवाना

कृपा मिलेगी श्री राम जी की(Kirpa Milegi Shri Ramji Ki)

किरपा मिलेगी श्री राम जी की,
भक्ति करो, भक्ति करो,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang