साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रही है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है। चैत्र मास हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और नौ दुर्गाओं का आशीर्वाद बना रहता है। चैत्र नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल नवरात्रि 30 मार्च को चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 7 अप्रैल को नवमी के दिन समाप्त होगी। तो आइए जानते हैं कि इस साल चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी क्या होगी।
इस साल एक खास बात है जो इसे और भी खास बना रही है। इस बार मां दुर्गा अपनी सवारी के रूप में हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व है और इस बार उनका हाथी पर सवार होना विशेष शुभ संकेत माना जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। भारतीय संस्कृति में हाथी को शांति, स्मृति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो इसे विशेष शुभ माना जाता है। इस सवारी का मतलब है कि इस बार देश में शांति और समृद्धि आएगी।
इस चैत्र नवरात्रि में महा अष्टमी तिथि 6 अप्रैल और महानवमी 7 अप्रैल को पड़ेगी। नवरात्रि में ये दो दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन मां का प्रिय भोग नारियल, चने की पूरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। फिर 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है।
नवरात्रि पूजन में कलश स्थापना एक महत्वपूर्ण अंग है। इस दौरान विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इन मुहूर्तों में कलश स्थापना करना विशेष फलदायी होता है। आप इन समयों में अपने घर या पूजा स्थल पर कलश स्थापना कर सकते हैं।
गंगा और यमुना की तरह नर्मदा नदी को भी हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। नर्मदा नदी को मां दुर्गा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए मां नर्मदा को हिंदू धर्म की सात पवित्र नदियों में भी शामिल किया गया।
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सिंधु के नाम से जानी जाने वाली सिंधु नदी हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास का केंद्र रही है।
सप्त नदियों में कावेरी नदी का भी विशेष स्थान है। तमिलनाडु और कर्नाटक में ये अपने जीवनदायनी गुणों की वजह से प्रसिद्ध है। कावेरी नदी को भगवान दत्तात्रेय से जोड़कर देखा जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं की 'पवित्र सात नदियों' में गोदावरी नदी का उल्लेख मिलता है। गंगा और यमुना के अलावा गोदावरी का भी भारत में काफी महत्त्व है। यह नदी उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का संगम है।