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वट सावित्री व्रत के उपाय

वट सावित्री व्रत के उपाय

Vat Savitri Vrat Upay: वैवाहिक जीवन में चाहतें है सुख और समृद्धि, तो वट सावित्री व्रत के दिन करें ये उपाय 


हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत पतिव्रता स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, स्वस्थ और सुखमय जीवन के लिए किया जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यह दिन वैवाहिक जीवन में चल रही तकरार और आपसी मनमुटाव को दूर करने के लिए भी बेहद शुभ माना गया है। यदि पति-पत्नी के बीच रोजाना तकरार होती है या रिश्तों में कड़वाहट आ गई है, तो वट सावित्री व्रत के दिन किया गया उपाय आपके रिश्ते में मिठास और सकारात्मकता ला सकता है।

विवाहित जोड़े को एक साथ करनी चाहिए वट वृक्ष पूजा 

पति-पत्नी दोनों मिलकर अगर वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करें, तो नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और रिश्ते में स्थिरता आती है।
पूजा के दौरान एक-दूसरे का हाथ पकड़कर सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण करें।
पति की लंबी उम्र के साथ-साथ प्रेम और समझदारी की कामना करें।

वट वृक्ष की परिक्रमा के समय करें ये कामना

वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय लाल मौली का धागा लेकर पति-पत्नी दोनों 11 बार पेड़ के चारों ओर घूमें और यह मंत्र बोलें, ‘वट वृक्ष के नीचे मैं सौभाग्य की कामना करती हूं, हमारे रिश्ते में प्रेम और विश्वास बना रहे’। यह उपाय न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी पति-पत्नी को जोड़ता है।

एक साथ खाएं वट सावित्री व्रत का प्रसाद

व्रत के दिन पूजा में वट वृक्ष को चने, गुड़ और केले का भोग लगाएं और यह प्रसाद पति-पत्नी दोनों एक साथ खाएं। यह प्रेम, भाग्य और सामंजस्य का प्रतीक माना गया है।

स्कंद पुराण में लिखा है इस व्रत का महत्व 

वट वृक्ष में त्रिदेवों का वास होता है, जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में महेश। यह वृक्ष दीर्घायु, अखंड सौभाग्य और मजबूत रिश्तों का प्रतीक है। सावित्री-सत्यवान की कथा स्वयं इस बात का उदाहरण है कि सच्चे प्रेम और दृढ़ संकल्प से मृत्यु जैसे संकट को भी हराया जा सकता है। 

स्कंद पुराण के अनुसार, यदि आपके वैवाहिक जीवन में गलतफहमियों, तकरार या मानसिक दूरी जैसी समस्याएं आ रही हैं, तो वट सावित्री व्रत के दिन किया गया यह सरल उपाय आपको सकारात्मक ऊर्जा, आपसी प्रेम और सम्मान से भर सकता है।

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श्री रविदास चालीसा (Sri Ravidas Chalisa)

बन्दौ वीणा पाणि को , देहु आय मोहिं ज्ञान।
पाय बुद्धि रविदास को , करौं चरित्र बखान।

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

श्री शारदा देवी चालीसा (Shri Sharda Devi Chalisa)

मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥

श्री नर्मदा चालीसा (Shri Narmada Chalisa)

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

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