Logo

प्रदोष व्रत के खास उपाय क्या हैं?

प्रदोष व्रत के खास उपाय क्या हैं?

प्रदोष व्रत में ये खास उपाय अपनाने से मिलेगा महादेव का आशीर्वाद, मनचाहा करियर की करें प्रार्थना 


प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा और कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में आने वाली समस्याओं का निवारण होता है। यह व्रत न केवल करियर और धन संबंधी समस्याओं का समाधान करता है। बल्कि, वैवाहिक जीवन में भी सुख-शांति लाता है। तो आइए इस लेख में प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


हर समस्या का मिलता है समाधान


इस पवित्र दिन पर महादेव की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होती है। प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा और उपाय करने से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। खासतौर पर करियर और वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना गया है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 28 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा और कुछ विशेष उपाय करने से मनचाहा करियर, सुखद वैवाहिक जीवन और धन-वैभव प्राप्त होता है। 


जानें प्रदोष व्रत के विशेष उपाय


  • करियर में सफलता का उपाय: भगवान शिव को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करें और शिवलिंग पर सफेद फूल अर्पित करें। करियर में उन्नति और चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए सफेद वस्त्र का दान गरीबों में करें। मान्यता है कि सफेद वस्त्र दान करने से जातक को करियर में सफलता मिलती है और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं।
  • वैवाहिक जीवन में मधुरता का उपाय: अगर आप अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं, तो इस दिन भगवान शिव का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से अभिषेक करें। इस अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र और अक्षत चढ़ाएं। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय से दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बढ़ती है।
  • धन संबंधित समस्याओं के समाधान का उपाय: इस दिन शिवलिंग पर केसर और शक्कर अर्पित करें। इसके साथ ही "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें। यह उपाय धन की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है।
  • शुभ कार्यों में ऐसे मिलेगी सफलता: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ माता पार्वती का ध्यान करें। शिवलिंग पर जल और चंदन चढ़ाएं। मान्यता है कि इस उपाय से मनुष्य के सभी कार्य सफल होते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।


प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 


  • मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 06:23 बजे प्रारंभ होगी।
  • यह तिथि 29 नवंबर को सुबह 08:39 बजे समाप्त होगी।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:24 से रात 08:06 तक। 

चूंकि, यह व्रत गुरुवार को पड़ रहा है। इसलिए, इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और गुरु बृहस्पति की संयुक्त आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं।


प्रदोष व्रत के लाभ 


  • आर्थिक उन्नति: महादेव की पूजा से धन की समस्या का समाधान होता है और समृद्धि का आगमन होता है।
  • करियर में सफलता: प्रदोष व्रत के दिन उपाय करने से मनचाहा करियर प्राप्त होता है।
  • वैवाहिक जीवन में खुशहाली: शिवजी का अभिषेक करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता और स्थायित्व आता है।
  • पापों का नाश: शिवजी की आराधना से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • दोषों का निवारण: यह व्रत चंद्र और गुरु ग्रह से जुड़े दोषों को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है।

........................................................................................................
कब है माघ पूर्णिमा व्रत

सनातन हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। जिससे उनका जीवन खुशहाल होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है।

कुंभ संक्रांति पूजा-विधि और नियम

जिस तरह सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश से मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी तरह जिस दिन सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश कर सकते हैं, वह दिन कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

थाईपुसम क्यों मनाया जाता है

हिंदू धर्म में, थाईपुसम एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार विशेषकर तमिल समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

कुंभ संक्रांति के दिन दान

हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang