मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है। विद्या लक्ष्मी बुद्धि में वृद्धि कर व्यक्ति को विद्वान बनने में सहायता करती हैं। विद्या रूपी धन की प्राप्ति के लिए विद्या लक्ष्मी की आराधना बहुत कारगर उपाय है। लेकिन, ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि देवी विद्या लक्ष्मी की पूजा किस विधि से की जाती है। तो चलिए इस लेख में हम आपको बताते हैं विद्या लक्ष्मी की पूजन सामग्री, विधी और सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।
विद्या लक्ष्मी ब्रह्मचारिणी देवी का ही एक रूप हैं। मां विद्या लक्ष्मी का यह स्वरूप सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए है। उनके सिर पर सोने के आभूषण सुसज्जित हैं। चार भुजाओं में माता ने ऊपर की दो भुजाओं में कमल फूल धारण किया है। वहीं, अन्य दो भुजाएं अभय मुद्रा में हैं। देवी असुरक्षा, अज्ञानता और अनुभवहीनता को दूर कर ज्ञान और विवेक में वृद्धि करतीं हैं ।
सीता नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो माता सीता के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन माता सीता की विशेष पूजा करने और व्रत रखने का खास महत्व होता है।
सीता नवमी का दिन माता सीता के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जो वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है। इस दिन देवी सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थायित्व आता है।
सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं।
बगलामुखी जयंती वैशाख शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है, जो देवी बगलामुखी को समर्पित है। वह दस महाविद्याओं में से आठवीं देवी हैं और श्री कुल से संबंधित हैं। देवी बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। उनकी साधना से स्तंभन की सिद्धि प्राप्त होती है और शत्रुओं को नियंत्रित किया जा सकता है।