Logo

आदि लक्ष्मी की महिमा

आदि लक्ष्मी की महिमा

दिवाली पर जानें माता लक्ष्मी के आठ अवतारों में से प्रथम मां आदि लक्ष्मी के बारे में, पूजा से होती है मोक्ष की प्राप्ति


आदि लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आदि लक्ष्मी को महालक्ष्मी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आदि लक्ष्मी ने ही तीनों देवों और पूरी सृष्टि की रचना की है। आदि लक्ष्मी की पूजा से घर की सभी समस्याएं दूर होती हैं और खुशहाली आती है। तो चलिए जानते हैं आदि लक्ष्मी की पूजा विधि और इससे संबंधित महत्पूर्ण जानकारियां bhakt Vatsal के इस नए लेख में।


आदि लक्ष्मी की पूजा विधि 


  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की मूर्ति भी रखें और दोनों को तिलक करें।
  • दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। 
  • दक्षिणावर्ती शंख में गाय का कच्चा दूध लेकर मां की मूर्ति का अभिषेक करें।


पूजन सामग्री 


देवी की पूजा करने हेतु धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए आम की लकड़ी, आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी या लाल कपड़ा पूजन सामग्री में अवश्य शामिल करें।


आदि लक्ष्मी की साधना से लाभ 


  •  इससे जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं तथा कर्ज से मुक्ति मिलती है। 
  • जीवन से धन का अभाव नहीं रहता। 
  • यह पूजन दीर्घायु, परिवार में खुशहाली और मान-सम्‍मान बढ़ाता है।
  • वैवाहिक सुख और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य प्रदान करता है।

........................................................................................................
अर्जुन की उत्पत्ति (Arjun Ki Utpatti)

गंगा के श्राप के कारण अपने ही पुत्र के हाथों मारे गए थे अर्जुन, उनके नर अवतार से जुड़ी कर्ण वध की कहानी

चित्रगुप्त की उत्पत्ति (Chitragupt Ki Utpatti)

चित्रगुप्त को ही क्यों बनाया यमराज का सहायक, इनकी पूजा से दूर होता है मृत्य का भय

भीम की उत्पत्ति (Bheem Ki Utpatti)

नागलोक में अमृतपान करने से भीम को मिला हजार हाथियों के बराबर बल, हिडिंब राक्षस का वध कर हिडिंबा से किया गंधर्व विवाह

कर्ण की उत्पत्ति (Karn Ki Utpatti)

गुरू से छल के कारण कर्ण भूले ब्रह्मास्त्र चलाना; यही मृत्यु का कारण बना, पूर्व जन्म में मिले थे 100 कवच कुंडल

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang