मुख्य रूप से नवरात्रि में माता पार्वती के सभी रूपों की पूजा की जाती है, लेकिन देवी के सभी रूप आम लोगों के लिए नहीं होते। यही कारण है कि साल में चार नवरात्रि होने के बावजूद केवल दो नवरात्रि ही आम लोगों द्वारा मनाई जाती हैं, जबकि दो नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, जिन्हें केवल तंत्र साधना करने वाले लोग ही मनाते हैं।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का प्रावधान है, जबकि गुप्त नवरात्रियों में दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है। दस महाविद्याएं देवी शक्ति के उग्र और सौम्य दोनों रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो साधकों को विभिन्न सिद्धियां प्रदान करने में सहायक होती हैं।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का विशेष प्रावधान है। नवदुर्गा को शक्ति और साहस की देवी के रूप में पूजा जाता है। ये नौ रूप माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये स्वरूप हैं:
नवरात्रि के दौरान, इन नौ देवियों की पूजा की जाती है और इनके विशिष्ट गुणों को मान्यता दी जाती है।
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है।
शिव पुराण में मासिक शिवरात्रि की महिमा का उल्लेख मिलता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। नवंबर माह की शिवरात्रि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है, और यह दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर है।
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।