चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं, उन्हें ममता की मूर्ति भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो मनुष्य स्कंदमाता की सच्चे मन से उपासना और स्तुति करता है उन्हें संतान-सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां स्कंदमाता की पूजा मे निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग जरूर करें।
चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन पूजा और साधना के लिए बहुत शुभ समय माना जाता है। इसीलिए स्कंदमाता की पूजा के प्रत्येक नियमों को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। आइए उन्हें जानते हैं:
देवी दुर्गा का पांचवां रूप मातृशक्ति को दर्शाता है जिन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और गर्भवती महिलाओं को विशेष आशीर्वाद भी मिलता है। साथ ही भक्तों को सभी कष्ट, रोग और दुख से मुक्ति मिलती है, और परिवार में सुख-शांति, समृद्धि बनी रहती है।
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को एक अत्यंत पवित्र और शुभ समय माना जाता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त में उठने को अत्यंत लाभकारी बताया है। धार्मिक ग्रंथों और वेदों में भी इस समय का विशेष महत्व बताया गया है।
हिंदू धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। 2025 की शुरुआत में सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में जाने से कई राशि प्रभावित होंगे। सूर्य का मकर गोचर 14 जनवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर होगा।
2025 में विभिन्न ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। इसमें गुरु का भी गोचर होगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे खास और असरकारक ग्रह माने जाते हैं।
2025 में शुक्र ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद राशि परिवर्तन करेंगे। इसका प्रभाव 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी प्रकार से अवश्य पड़ेगा। दैत्यों के गुरु शुक्र को प्रेम-आकर्षण, कामना, सुख-समृद्धि, धन-वैभव का कारक ग्रह माना जाता है।