चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र की संरचना बनी है इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप शौर्य और सौम्यता का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा से भय, रोग और शत्रु का नाश होता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए कुछ सामग्री का बहुत महत्त्व है। इसलिए आप पहले से ही इन्हें खरीद कर रख लें, ताकि पूजा में किसी बाधा का सामना न करना पड़े।
मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सफलता, शक्ति और आत्मविश्वास देती है, जिससे वे कैसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए निडर बन जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की विधिवत रूप से पूजा करने से तन हमेशा स्वस्थ रहता है और मन में खुशी बनी रहती है। मानसिक तनाव से पीड़ित लोगों को शांति के लिए देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करना बहुत फलदायक होता है। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन पूरे मन से पूजा करें और मां चंद्रघंटा का अपार आशीर्वाद प्राप्त करें।
बनेंगे सारे बिगड़े काम,
प्रभु श्री राम को पूजो,
बालाजी बालाजी,
मेरी बिगड़ी बना दो मेरे बालाजीं,
दीपोत्सव यानी दिवाली के ठीक 10वें दिन एक और पर्व मनाया जाता है, जो हमें सिखाता है कि कैसे हमेशा बुराई पर अच्छाई की विजय होती है।
आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।