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वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे (Vridavan Dham Apaar Jape Ja Radhe Radhe)

वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे (Vridavan Dham Apaar Jape Ja Radhe Radhe)
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार,
जपे जा राधे राधे ।
जपे जा राधे राधे,
भजे जा राधे राधे,
राधा अलबेली सरकार,
जपे जा राधे राधे ॥

जो राधा राधा गावे,
वो प्रेम पदार्थ पावे ।
वाको है जाये बेडा पार,
जपे जा राधे राधे ॥
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे ।

वृन्दावन में राधे राधे,
यमुना तट पे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे ।

वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,
राधा अलबेली सरकार,
जपे जा राधे राधे ॥

जो राधा राधा नाम ना होतो,
रसराज बिचारो रोतो ।
नहीं होतो कृष्ण अवतार,
जपे जा राधे राधे ॥
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे ।

बंसिवट पे राधे राधे,
श्री निधिबन जी में राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे ।

वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,
राधा अलबेली सरकार,
जपे जा राधे राधे ॥

यह वृन्दावन की लीला,
मत जानो गुड़ को चीला ।
यामे ऋषि मुनि गए हार,
जपे जा राधे राधे ॥
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे ।

दान गली में राधे,
मान गली में राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे ।

वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,
राधा अलबेली सरकार,
जपे जा राधे राधे ॥

तु वृन्दावन में आयो,
तैने राधा नाम ना गायो ।
तेरे जीवन को धिक्कार,
जपे जा राधे राधे ॥
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे ।

यह बज की अजब कहानी,
यहाँ घट घट राधा रानी ।
राधे ही कृष्ण मुरार,
जपे जा राधे राधे ॥
वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे ।

वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार,
जपे जा राधे राधे ।
जपे जा राधे राधे,
भजे जा राधे राधे,
राधा अलबेली सरकार,
जपे जा राधे राधे ॥
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144 बाद कुंभ में ये दुर्लभ संयोग

प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। करोड़ों श्रद्धालु और लाखों साधु संत त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका सीधा संबंध देवताओं से जुड़ा हुआ है।

प्रयागराज के 5 ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर

महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र होने के लिए तैयार हैं। यदि आप भी इस आध्यात्मिक महासमागम का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो प्रयागराज के इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना न भूलें।

किस राजा के नाम पर रखा गया प्रयाग का नाम?

महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है। प्रयाग को हिंदू धर्म में तीर्थों का राजा कहा जाता है। यह शहर हजारों मंदिरों के साथ ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का केंद्र भी रहा है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ती के लिए आते हैं।

महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग

हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है। यह हिंदू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा समागम है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का पर्व कहा जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं ।

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