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वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


सकल लोकमां सहुने वंदे,

निंदा न करे केनी रे ।

वाच काछ मन निश्चळ राखे,

धन धन जननी तेनी रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,

परस्त्री जेने मात रे ।

जिह्वा थकी असत्य न बोले,

परधन नव झाले हाथ रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


मोह माया व्यापे नहि जेने,

दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।

रामनाम शुं ताली रे लागी,

सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वणलोभी ने कपटरहित छे,

काम क्रोध निवार्या रे ।

भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,

कुल एकोतेर तार्या रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥

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देव उठनी एकादशी पर क्या खाना चाहिए?

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। साल में दो एकादशी बड़ी एकादशी मानी जाती है, जिसका महत्व साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर होता है।

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