तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
मेरा तुम पे रहे विश्वास,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥
इक दौर था वो जीवन का मेरे,
जब अपने किनारा कर बैठे,
कांधा भी ना था रोने को कोई,
देखे हैं समय ऐसे ऐसे,
फिर तुमसे हुई मुलाकात,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥
तूफानों में कश्ती थी मेरी,
कहीं कोई किनारा ना सूझा,
फिर किसने निकाला तूफां से,
इक इक ने बाद में ये पूछा,
मैंने ले लिया तेरा नाम,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥
अब तो बस एक तमन्ना है,
तेरे चरणों का मैं दास बनूँ,
नहीं चिंता कोई फ़िक्र हो मुझे,
‘हरी’ तेरी शरण में सदा रहूं,
रहे कृपा की बरसात,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
मेरा तुम पे रहे विश्वास,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे,
तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,
के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना ।
बाबा थारी मोरछड़ी,
घूमे करे कमाल ।