तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।
लौटा जो दिया तूने,
चले जायेंगे जहां से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
घायल मन का पागल पंछी,
उड़ने को बेकरार ।
पंख हैं कोमल, आँख है धुंदली,
जाना है सागर पार ।
अब तू ही इसे समझा,
राह भूले थे कहाँ से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
इधर झूम के गाए जिन्दगी,
उधर है मौत खड़ी ।
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा,
उलझन आन पड़ी ।
कानों में ज़रा कह दे,
कि आएं कौन दिशा से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।
लौटा जो दिया तूने,
चले जायेंगे जहां से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
हमारा भारत देश बहुत ही विभिन्न विधिताओं से परिपूर्ण है। यहां बहुत सारे सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं, जैसे कि पहाड़, समुद्र और नदियां आदि। गंगा और यमुना जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के अलावा, हमारे देश में सरस्वती जैसी पौराणिक नदी भी रही है।
उदासीन संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़े हैं। इनमें से एक अखाड़ा है , उदासीन नया अखाड़ा। इस अखाड़े की स्थापना 1902 में हुई थी। इसका प्रमुख केंद्र कनखल, हरिद्वार में स्थित है।
उदासीन संप्रदाय का निर्मल पंचायती अखाड़ा देश के प्रमुख अखाड़े में गिना जाता है। यह इकलौता अखाड़ा है , जहां हिंदू और सिख समुदाय का समागम देखने को मिलता है।
निर्मोही अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख अखाड़ा है।इसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने की थी। यहां के साधु-संत भगवान राम की पूजा करते हैं और अपना जीवन उन्हीं को समर्पित करते हैं।