तेरे द्वार पे आने वालो ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं,
जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
पत्थर को चीर चट्टानों से,
क्या सुन्दर गुफा बनाई है,
चरणों से निकली गंगधारा,
ये कैसी लीला रचाई है,
हर डाल डाल हर पत्ते में,
माँ नूर तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
दरबार में ध्यानु ने आकर,
सर काट के अपना चढ़ाया था,
माँ शक्ति आद्य भवानी ने,
फिर चमत्कार दिखलाया था,
ध्यानु के सर को जोड़ दिया,
उपकार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
‘बलवीर’ कहे सुन जगदम्बे,
क्यों दर से मुझे भुलाया है,
‘आयोजिका’ कहे सुन जगदम्बे,
क्यों दर से मुझे भुलाया है,
एक बार करम अपना कर दो,
माँ दास तुम्हारा आया है,
मैं कैसे सबर करूँ दिल में,
दीदार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
तेरे द्वार पे आने वालो ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं,
जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का विशेष संबंध सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है।
हिन्दू धर्म में एकादशी और प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत धार्मिक श्रद्धा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ के लिए किए जाते हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। 13 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।