सुनो भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
ये अपना जीवन तेरी अमानत,
तू ही है जननी तू ही है पालक,
तेरे चरण के है हम पुजारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
कहे तुम्हे सब दया का सागर,
लुटा दो ममता गले लगाकर,
भुला दो सारी खता हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
तेरे सिवा हम किसे पुकारे,
ये नैन केवल तुम्हे निहारे,
तुम्ही पे आशा टिकी हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
जो ‘सोनू’ कर दे तू एक इशारा,
संवर ही जाए जनम हमारा,
मिटा दो बाधा माँ जग की सारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
सुनों भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ ॥
सुनो भवानी अरज हमारी,
दया करो माँ कृपा करो माँ,
शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,
दया करो माँ कृपा करो मा ॥
राजस्थान के इन मंदिरों में माता को चढ़ाई जाती है शराब, मूर्ति के सामने रखते ही खाली हो जाता है प्याला
नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में माता की आराधना, विभिन्न धार्मिक आयोजन, गरबा, जगराते और व्रत उपवास रखने की परंपरा है।
हमारी चेतना के भीतर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं।
नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।