शिव का डमरू डम डम बाजे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
कावड़ियों की नाचे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
कोई पहने पीले वस्त्र,
कोई पहने लाल,
दाढ़ी मूछें बड़ी हुई हैं,
रूखे सूखे बाल,
शिव भोले को चले मनाने,
नंगे पैरों भागे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
आंधी आवे पानी आवे,
चाहे दुपहरिया भारी,
जंगल हो या पहाड़ के रस्ते,
पांव न धरे पिछाड़ी,
कावड़ लेने चले है सारे,
लोग लुगाई बच्चे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
भोले जी के धाम चले है,
एक दूसरे के संग में,
हरिद्वार से लेकर कावड़,
रंग गए शिव के रंग में,
सावन की रुत आई सुहानी,
गाए कोई नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
गंगाजल शंकर को चढ़ा कर,
भगत मगन हुए सारे,
हाथ जोड़ कर खड़े कावरिया,
शिव भोले के द्वारे,
‘आनन्द’ गाए शिव के भजन,
कावरिये मिलकर नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे ॥
शिव का डमरू डम डम बाजे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
कावड़ियों की नाचे,
टोली कावड़ियों की नाचे,
शिव का डमरू डम डम बाजें,
टोली कावड़ियों की नाचे।।
26 फरवरी को इस बार महाशिवरात्रि का पर्व है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ है।
भगवान शिव को देवा का देव कहा जाता है। शिवरात्रि उनका एक प्रमुख त्योहार है। 26 फरवरी को इस बार शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
नया ऑफिस हर व्यवसाय और व्यक्ति के लिए एक बड़ा कदम होता है। जब कोई नया ऑफिस खोलता है, तो वह निश्चित रूप से चाहता है कि उसका व्यापार फले-फूले और उसे अधिक लाभ मिले। हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले भगवान का आशीर्वाद लेना शुभ होता है।
हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।