शिव अद्भुत रूप बनाए,
जब ब्याह रचाने आए ॥
भुत बेताल थे,
संग में चंडाल थे,
भुत बेताल थे,
संग में चंडाल थे,
कैसी बारात शंकर सजाए,
जब ब्याह रचाने आए ।
शिव अदभुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
लंगड़े-लूले भी थे,
अंधे काणे भी थे,
लंगड़े-लूले भी थे,
अंधे काणे भी थे,
शुक्र शनिचर को भी संग लाये,
जब ब्याह रचाने आए ।
शिव अदभुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
आए सब देवता,
पाए जब नेवता,
आए सब देवता,
पाए जब नेवता,
देवियों को भी संग में बुलाए,
जब ब्याह रचाने आए ।
शिव अदभुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
लोग डरने लगे,
और ये कहने लगे,
लोग डरने लगे,
और ये कहने लगे,
रूप कैसा गजब बनाए,
जब ब्याह रचाने आए ।
शिव अदभुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
बोलो सत्यम शिवम्,
है वही सुन्दरम,
बोलो सत्यम शिवम्,
है वही सुन्दरम,
गोरा के मन को भाए,
जब ब्याह रचाने आए ।
शिव अदभुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
शिव अद्भुत रूप बनाए ,
जब ब्याह रचाने आए ॥
सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त पूरी श्रद्धा के साथ गणपति जी का अपने घर में स्वागत करते हैं। इस उत्सव को 10 दिनों तक मनाया जाता है। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार, डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 10 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना करते हैं।
नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत लगाते हैं। ये हमेशा नग्न अवस्था में ही नजर आते हैं। चाहे कोई भी मौसम हो, उनके शरीर पर वस्त्र नहीं होते। वे शरीर पर भस्म लपेटकर घूमते हैं। नागाओं में भी दिगंबर साधु ही शरीर पर भभूत लगाते हैं। यह भभूत ही उनका वस्त्र और श्रृंगार होता है। यह भभूत उन्हें बहुत सारी आपदाओं से बचाता भी है।
नागा साधु भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे केवल सनातन धर्म के संरक्षक भी माने जाते हैं। इनका जीवन कठोर तपस्चर्या, शैव परंपराओं और भगवान शिव की भक्ति में बीतता है। नागा साधु धार्मिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ होते हैं। साथ ही हिंदू धर्म की रक्षा में भी ऐतिहासिक योगदान भी देते हैं।
महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान कहा गया है। अखाड़े इस धार्मिक अनुष्ठान की रौनक है, जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं। इनका नगर प्रवेश हमेशा से एक चर्चा का विषय होता है।