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राम नाम की लूट है (Ram Naam Ki Loot Hai)

राम नाम की लूट है (Ram Naam Ki Loot Hai)

श्री राम, जय राम, जय जय राम

श्री राम, जय राम, जय जय राम

श्री राम, जय राम, जय जय राम

श्री राम, जय राम, जय जय राम


तेरे मन में राम, तन में है राम,

है रोम रोम में राम रे,

राम सुमीर ले, ध्यान लगा ले,

छोड़ जगत के काम रे ।


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


माया में तू उलझा उलझा,

दर-दर धूल उडाये,

अब क्यों करता मन भारी,

जब माया साथ छुडाए ।

दौड़ धूप में ही सारा दिन बीत गया,

बीत ना जाए जीवन की अब शाम रे,


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


छः लुटेरे तन के भीतर डाले बैठे डेरा

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मत्सरय ने कैसा घेरा

भूल गया ग़र राम राम रटना प्यारे,

करता रह जाएगा भौतिक काम रे,

बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम ॥


श्री राम, जय राम, जय जय राम

श्री राम, जय राम, जय जय राम


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


तेरे मन में राम, तन में है राम,

है रोम रोम में राम रे,

राम सुमीर ले, ध्यान लगा ले,

छोड़ जगत के काम रे ।


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


राम नाम की लूट है, प्यारे लूट ले

पछताइयो ना, प्राण जाएँ जब छूट रे


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शिव का शक्ति पुंज है शिवलिंग, सिंधु घाटी में भी मिला है इसकी पूजा के प्रमाण, इससे जुड़ी इन भ्रातियों से बचें (Shiv ka Shakti Punj hai Shivaling, Sindhu Ghaatee mein Bhee mila Hai isakee Pooja ke Pramaan, isase judee in bhraatiyon se bachen)

देवाधिदेव महादेव की पूजा दो स्वरूप में होती है। एक जो आपने देखा होगा कि वे कैलाश पर्वत पर समाधि की मुद्रा में या माता पार्वती के साथ बैठे हुए हैं और दूसरा शिवलिंग के रूप में जिसकी पूजा हम सभी करते है।

शिव के विचित्र श्रृंगार से जुड़े हैं कई अनोखे रहस्य, समझिए नाग, भस्म, नंदी, जटाएं और संपूर्ण शिव श्रृंगार का अर्थ (Shiv ke Vichitr Shrrngaar se Jude hain kaee Anokhe Rahasy, Samajhie Naag, Bhasm, Nandee, Jataen aur Sampoorn Shiv Shrrngaar ka Arth)

हिन्दू धर्म में हम जिन जिन देवताओं की पूजा करते हैं उन सब की अपनी एक अलग छवि और आभा मंडल है जो भक्तों का मन मोह लेती है। लेकिन भोलेपन के स्वामी भगवान भोलेनाथ शिव इस मामले में भी विरले ही हैं।

21 ब्रह्मांडों के देवता ब्रह्मा जी की उत्पति कैसे हुई, चार मुख होने के पीछे का रहस्य क्या है, जानिए उनके 59 पुत्रों के बारे में (21 Brahmaandon ke Devata Brahma Jee kee Utpati kaise Huee, Chaar Mukh Hone ke Peechhe ka Rahasy kya Hai, Jaanie unake 59 Putro

सृष्टि के सृजन कर्ता के रूप में सनातन धर्म के अनुसार ब्रह्मा जी का स्थान सभी देवों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से सृष्टि के सृजन और संतुलन का कार्य ब्रह्म देव के हाथों में है।

सावन में न करें यह काम नहीं तो शिव हो जायेंगे क्रोधित ! (Saavan Mein Na karen yah kaam Nahin To Shiv ho Jaayenge Krodhit !)

भगवान शिव के प्रिय मास की शुरुआत होते ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। बाबा के भक्त लंबी लंबी कतारों में लगकर भगवान शिव का अभिषेक और उनकी पूजा कर रहे हैं।

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