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राम को देख कर के जनक नंदिनी (Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini)

राम को देख कर के जनक नंदिनी (Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini)

राम को देख कर के जनक नंदिनी,

बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।

राम देखे सिया को सिया राम को,

चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥


यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,

ले धनुष दानवो को लगे काटने।

एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,

गिर जमी पर पड़ी की पड़ी रह गयी॥


राम को मन के मंदिर में अस्थान दे

कर लगी सोचने मन में यह जानकी।

तोड़ पाएंगे कैसे यह धनुष कुंवर,

मन में चिंता बड़ी की बड़ी रह गयी॥


विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,

शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए।

तब श्री राम ने तोडा को दंड को,

सब की आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी॥


तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,

सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया।

ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,

उसकी लहरे रुकी की रह गयी॥


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बसंत पंचमी पर महाकुंभ का स्नान क्यों है खास?

महाकुंभ जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है इस बार बसंत पंचमी पर विशेष रूप से खास होने वाला है। इस दिन महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है जो कि त्रिवेणी संगम में होगा।

बसंत पंचमी कथा

बसंत पंचमी सनातन धर्म का विशेष पर्व है, जिसे माघ महीने में मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस खास दिन पर माता शारदा की पूजा की जाती है और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी पर गुलाल क्यों चढ़ाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

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