राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन,
फिर भी दीप जलाये रही है ।
कृष्ण को गोकुल से राधे को...
कृष्ण को गोकुल से राधे को,
बरसाने से बुलाय रही है ।
दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।
दोनों करो स्वीकार कृपा कर,
जोगन आरती गाये रही है ।
भोर भये ते सांज ढ़ले तक,
सेवा कौन इतनेम म्हारो ।
स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो,
भोग लगाए वो लागत प्यारो ।
कबते निहारत आपकी ओर...
कबते निहारत आपकी ओर,
की आप हमारी और निहारो ।
राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।
राधे कृष्ण हमारे धाम को,
जानी वृन्दावन धाम पधारो ।
शंकर चौड़ा रे, महामाई कर रही सोलह रे।
सिंगार माई कर रही, सोलह रे
मेरी अखियों के सामने ही रहना, ओ, शेरों वाली जगदम्बे
(मेरी अखियों के सामने ही रहना, ओ, शेरों वाली जगदम्बे)
तेरी छाया मे, तेरे चरणों में,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तों में॥
कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।